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भारतीय दर्शन में राम की छबि सिर्फ इश्वरीय ही नहीं, बल्कि लोक छबि है राम अवध की धरती पर अवतरित हुए उनकी पैजनियों कि आवाज सरयू के पानी की कल-कल में सुनी जाती है | राम भाइयों में सबसे बड़े थे इसलिए खेल में कभी अनुजों को नहीं हराते, उदारता सच्चाई व आदर्शों की प्रतिमूर्ति थे वे इतने मोहक थे कि पुष्प वाटिका में सीता उन पर मोहित हो गई और इतने सरल कि रावण की मृत्यु पर भी शोक प्रकट किया राम इन्ही गुणों के कारण आज भी हम सभी के ह्रदय में बसें हैं तभी तो लोग कहतें हैं, राम जी का अन्न खातें हैं राम जी का दिया जल पीतें हैं हमारे सारे अस्तित्व में राम हैं | राम की कथाएं हमारी संस्कृति में बसी है राम ही हैं जिनके माथे पर हम अपना सुख-दुःख,भूत-भविष्य सब कुछ डाल देतें हैं | राम अवतरित होते हुए भी कोई चमत्कार नहीं करते एक आम आदमी की तरह जीवन के कष्टों,दुखों,संघर्षों का सामना करते हैं | यही कारण है स्त्रियाँ अपना वर राम जैसा चाहतीं हैं,प्रजा अपना राजा,पिता अपना पुत्र,भाई अपना भाई,मित्र अपना मित्र राम जैसा चाहता है |
सुनील मौर्य
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